बांग्लादेश ‘ए’ के खिलाफ शतक जड़ने वाले खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल, जिनकी कहानी सुन रो देंगे आप
राजस्थान रॉयल्स के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत ही टेंट में रहकर और गोलगप्पे बेचकर किया है। 3 साल तक मुंबई के आजाद मैदान में टेंट में रात गुजारने वाले इस खिलाड़ी का पूरा नाम यशस्वी भूपेंद्र कुमार जायसवाल है। यशस्वी ने हाल ही में 29 नवंबर से 2 नवंबर तक बांग्लादेश में खेले गए इंडिया ए बनाम बांग्लादेश ए के बीच अन-अधिकारिक टेस्ट मैच में 146 रन की पारी खेली है।
लिस्ट ए में दोहरा शतक जड़ने वाले दुनिया के सबसे युवा क्रिकेटर

उत्तर प्रदेश के भदोही (सुरियावन) जिले में जन्मे इस खिलाड़ी ने अक्टूबर 2019 में एक नया कीर्तिमान अपने नाम करते हुए लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने वाले दुनियां के सबसे युवा क्रिकेटर बने और सेलेक्टर्स का ध्यान अपनी तरफ खींचा। जिसके बाद दिसंबर 2019 में 2020 अंडर 19 विश्व कप के लिए भारत की टीम में उन्हे नामित किया गया। इसी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल मैच में पाकिस्तान के खिलाफ यशस्वी ने शानदार शतक बनाते हुए अपनी टीम को 10 विकेटों से जीत भी दिलाई। उनके करियर की शुरुआत 2018 में अंडर 19 एशिया कप क्रिकेट से हुई। यशस्वी के पिता भूपेंद्र जायसवाल एक हार्डवेयर की दुकान चलाते है, मां कंचन जायसवाल गृहणी है, यशस्वी 06 भाई बहन में चौथे है।
20 वर्षीय इस युवा क्रिकेटर की बेहद इमोशनल कहानी

एक टीवी चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में यशस्वी बताते है, की जब वो जब 11 साल के थे तब अपने रिश्तेदार के साथ मुंबई आ गए, क्योंकि उनके कुछ सीनियर्स जो अक्सर खेलने मुंबई आया करते थे, वो कहते थे तू मुंबई जा, यहां रहकर कुछ नहीं कर पाएगा, टाइम वेस्ट हो जाएगा। फिर मुंबई में चाचा और पापा ने मिलकर दूध की डेयरी में रहने का इंतजाम कर दिया। जिसके बाद वही पर रहना काम करना जैसे साफ सफाई आदी और बचे हुए समय में फील्ड जाना फिर वही आकर कही पर भी सो जाना, खाना खुद बना कर खाना। धीरे धीरे क्रिकेट के ऊपर फोकस बढ़ने की वजह से काम पर ध्यान देना कम हो गया।
आगे जायसवाल बताते हैं, उन्हें डेयरी से निकाल दिया, शाम को खेल कर लौटने पर देखा की मेरा सामान सब निकाल कर सड़को पर रखा हुआ था, जिसके बाद मैं आजाद मैदान गया वहा एक पप्पू सर थे उन्होंने अपने घर बुला लिया। पर उनका भी बहुत छोटा सा घर था, जिसमे कंफर्टेबल नहीं हो पा रहा था, फिर उन्होंने बताया “टेंट” मिल सकता है। एक मैच है जिसमे तुझे अच्छा परफॉर्मेंस करना होगा। घरवाले परेशान ना हो इसलिए उन्हे भी नहीं बताया। पर यहां रह पाना मेरे लिए बहुत ही कठिन होता जा रहा था, जिसके बाद मैने कुछ समय तक खुशी खुशी गोलगप्पे बेचकर अपना गुजारा किया।
यशस्वी ने उन दिनों झेले अपनी परेशानी के बारे में बताते हुए कहा, टेंट में ना लाइट होती थी ना टॉयलेट थी। और ना ही साफ पानी की सुविधा बरसात में पानी भर जाने पर सोने की दिक्कत। मगर फिर भी मैं एंजॉय करते हुए खुद से बोला करता था मुझे बस मेहनत करना है और आगे बढ़ना है। अपने टेंट से वानखेड़े की जब लाइट जलती हुई देखा करता था, तो खुद से बोलता था मुझे भी एक दिन वहा खेलना है। आगे वो कहते है – मैं मुंबई की उस गरीबी की वजह से और भी ज्यादा मेंटली स्ट्रॉन्ग हुआ। कोई भी चीज मुझे आसानी से नही मिली है, मेरे दिमाग में हमेसा यही रहता है की मुझे आगे जाकर लड़ना है, मैं लडूंगा और जीतूंगा ऐसे वापस नही आऊंगा, हर मैच में मेरा एप्रोच अच्छा होना चाहिए।
“मैं गिव अप नहीं करता जब तक किसी चीज को मैं पूरा ना कर लू या पा ना लू। आगे वो “सचिन तेंदुलकर” का जिक्र करते हुए कहते है सचिन सर की बातों से मुझे बहुत पावर मिली की आप जैसा सोचते हो वैसा सच में होता है। और मैने ये रियलाइज भी किया की ऐसा मेरे साथ हुआ है।” यशस्वी बताते है की मैं इस टीम में अपने रोल और टीम की रिक्वायरमेंट को समझकर खेलता हूं,अपने राजस्थान फैमिली के प्लेयर्स से सीखना चाहता हूं, हर मैच में अपना बेस्ट देना चाहता हूं, मेरा सपना है देश के लिए खेलना। अंडर 19 विश्व कप का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया की कैसे राष्ट्रगान सुनकर गूसबंप्स आ रहे थे।